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ज्ञानवापी का  इतिहास

Gyanvapi Mandir Letest News: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक बार फिर विवाद  चल रहा है। पुरातत्व विभाग ने इसका सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। और बहुत जल्द इसका फैसला होने वाला है काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास से जुड़ा है ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास। तो चलो देखते हैं क्या है ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद का इतिहास और क्या है इसके शिव मंदिर होने का दवा और क्या कहते हैं प्राचीन का ग्रंथ और शोध।
इतिहासकारों का मानना है 1194 में मोहम्मद गोरी काशी स्थित मंदिर को लूटकर तुड़वा दिया था। फिर से जब मंदिर बना लिया गया तो 1447 में जौनपुर के शहर की सुल्तान महमूद शाह द्वारा मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनवाई गई। हालांकि इसको लेकर मतभेद है कि तब मस्जिद नहीं बनी थी क्योंकि कुछ का मानना है की 1669 में है औरंगजेब के आदेश से तोड़कर यहां पर मंदिर के आधे हिस्से पर जामा मस्जिद बनाई गई। हालांकि मस्जिद को अलग से बनवाकर मंदिर की नींव और मलवा का ही इसमें उपयोग किया गया था।
Gyanvapi Mandir: मंदिर टूटने और मस्जिद बनने के 125 साल तक कोई मंदिर नहीं बना था इसके बाद साल 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने ज्ञानवापी परिसर के पास काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया। ज्ञानवापी मस्जिद का पहला जिक्र 1883 84 के राजस्व दस्तावेजों में जामा मस्जिद ज्ञानवापी के तौर पर दर्ज किया गया।
1809 में हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद को उन्हें सपना की मांग की गई थी। 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन कलेक्टर मिस्टर वॉटसन ने वाइस प्रेसिडेंट इन काउंसिल को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को हमेशा के लिए सपने को कहा था। लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया 1936 में दायर एक  मुकदमे पर वर्ष 1937 के फैसले में ज्ञानवापी को मस्जिद के तौर पर स्वीकारा गया।

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1993 में विवाद के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथा स्थिति कायम रखने का आदेश दिया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की वैधता 6 माह तक के लिए बताइए 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। 2021 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी 2022 में कोर्ट के आदेश के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम पूरा हुआ।

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शिव मंदिर होने का दावा

हिंदू पुराणों के अनुसार काशी में विशालकाय मंदिर में शिवलिंग स्थापित है इसका उल्लेख महाभारत में भी किया गया है।  इस विशनपूर्व अकरावी सदीमें राजा हरिश्चंद्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार की करवाया था।  उसका सम्राट विक्रमादित्य ने अपने कार्यकाल में पुन जीर्णोद्धार  करवाया था।  शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में उल्लेख मिलता है जिसमें एकादशी का ज्योतिर्लिंग प्रमुख माना गया है।  भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी है शिव की नगरी काशी भगवान शंकर को यह गाड़ी अत्यंत प्रिय है इसलिए उन्होंने इसे अपनी राजधानी एवं अपना नाम काशीनाथ रखा है।
कथित मस्जिद और नए विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है।  जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है इसी को एक के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा है स्कंद पुराण में कहा गया है।  कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से यह कुआं बनाया था कहते हैं कि कुए का जल बहुत ही पवित्र है जिसे पीकर व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है।  ज्ञान यानी दिशा और वापी यानी जल यह भी कहते हैं कि शिवजी ने यही अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ध्यान का कुआं पड़ा ज्ञानवापी का जल काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जाता था।

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ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है।  जिला अदालत ने ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा-पाठ करने की इजाजत दे दी है. सात दिनों में जिला प्रशासन को इसके लिए व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि व्यास जी के तहखाने में इजाजत की इजाजत मिली है. व्यास परिवार अब तहखाने में पूजा पाठ करेगा।  हिंदू पक्ष ने व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ की इजाजत मांगी थी।  सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ  करता था।
1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजा बंद हो गई थी।  17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कब्जे में लिया था।  एएसआई सर्वे कार्रवाई के दौरान तहखाने की साफ-सफाई हुई थी।  काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अधीन तहखाने में पूजा की जाएगी।  ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को बुधवार को नोटिस जारी किया। वादी राखी सिंह ने वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अक्टूबर 2023 को सुनाये गये उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर कथित शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने का निर्देश देने से मना कर दिया था।

विवाद, केस और बवाल... औरंगजेब के काल से आज तक, जानिए 353 साल पुराने  ज्ञानवापी केस की पूरी कहानी - All You Need to Know about Gyanvapi Masjid  and Kashi Vishwanath Temple

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Gyanvapi Case: वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा—पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया. मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है.
उन्होंने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किये गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग-भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं. यादव ने बताया कि पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा. ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष विराजमान नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा. उन्होंने बताया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन सपा सरकार के दौरान बैरिकेडिंग कर पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था.
मुस्लिम पक्ष देगा चुनौती

Gyanvapi Verdict: मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है. मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा, ”आज जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे कर अपना अंतिम फैसला दे दिया. अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे.”

अदालत द्वारा दिये गये आदेश में कहा गया है, ”जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना—चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग—भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें.”

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